Re-writing Tu Hi Re

इन साँसों का देखो तुम पागलपन के आए नहीं इन्हें चैन मुझसे ये बोली मैं राहों में तेरी अपने बिछा दूं ये नैन

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इन साँसों का देखो तुम पागलपन के
आए नहीं इन्हें चैन
मुझसे ये बोली मैं राहों में तेरी
अपने बिछा दूं ये नैन
इन ऊंचे पहाड़ों से जां दे दूंगा मैं
अगर तुम ना आई कहीं
तुम उधर जान उम्मीद मेरी जो तोड़ो
इधर ये जहां छोडू मैं
मौत और ज़िन्दगी, तेरे हाथों में दे दिया रे
इन ऊंचे पहाड़ों से आवाज़ दे दूंगा मैं
अगर तुम ना आई कहीं
तुम उधर जान मझधार में जो डूबो
इधर तेरी नाव बनु मैं
मौज और कश्ती, तेरे हाथों में दे दिया रे । 

इन साँसों का देखो तुम पागलपन के आए नहीं इन्हें चैन मुझसे ये बोली मैं राहों में तेरी अपने बिछा दूं ये नैन

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इन साँसों का देखो तुम पागलपन के आए नहीं इन्हें चैन मुझसे ये बोली मैं राहों में तेरी अपने बिछा दूं ये नैन

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इन साँसों का देखो तुम पागलपन के आए नहीं इन्हें चैन मुझसे ये बोली मैं राहों में तेरी अपने बिछा दूं ये नैन

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Comments

  1. Haha nice! I have also thought of this obsessive part of this song every time I listen to this beautiful composition. I will think of my version and write it down sometime :D

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